बिहार का एक ऐसा जिला जिसे 1865 में पटना जिले से अलग कर दिया गया था इस जिले के पहले सांसद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सतनारायण सिंह बने थे.
हम बात कर रहे हैं औरंगाबाद जिले के बारे में जिसे 26 जनवरी 1973 को बिहार के एक और नए जिले का नाम दिया गया, 1419 किलोमीटर में फैला या जिला अपने आप में एक धरोहर है.
औरंगाबाद बिहार का पुराना नाम क्या था?
आज हम बिहार के जिस जिले को औरंगाबाद के नाम से जानते हैंउसका पुराना नाम नौरंगाबाद था जब इस जिले को 26 जनवरी 1973 को पटना से अलग कर दिया गया तो इसका नाम बदलकर औरंगाबाद रख दिया गया था.
औरंगाबाद मेंराजस्थान से आएराजपूत काइतिहास मिलता है इसलिए इसे चित्तौड़गढ़ के भी नाम से जाना जाता है पवई, देव, चन्द्रगढ़ आदि कुछ ऐसे स्थान है जहां पर आज भी राजाओं के किले मौजूद हैं और यहां पुराने किले का अवशेष भी देखा जा सकता है.
औरंगाबाद बिहार में घूमने वाली जगह
अगर औरंगाबाद को पर्यटन के मामले में देखा जाए तो यह एक सबसे बेस्ट घूमने का स्थान है यहां पर आपको ऐतिहासिक धार्मिक स्थल राजाओं के किला देव सूर्य मंदिर देव का किला उनका पहाड़ पवई पहाड़ उमेश्वरी माता का मंदिर और 55 मंदिरों को भी घूम जा सकता है यहां पर देवकुंड धाम, अम्बा में सतबहिनी मंदिर, नबीनगर में बिजली परियोजना और अन्य स्थान पर भी आप घूम सकते हैं.
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काफी पिछड़ा जिला था औरंगाबाद
औरंगाबाद कुछ साल पहले नक्सली से इतना प्रभावित थाकि यहां परकुछ भी निर्माण नहीं हो पता थागरीब परिवारों को मजदूरी और कृषि के अलावा कोई रोजगार नहीं थालेकिन आज देश में सबसे तेज गति से विकास करने वाला10 जिलों की आंकड़ा में देखा जाए तो यह भी एक जिला हैऔरंगाबाद में दो बिजली घर और एक सीमेंट का बड़ा कारखाना भी है जिसे श्री सीमेंट के नाम से भी जाना जाता है, औरंगाबाद जिला झारखंड के बॉर्डर पर स्थित हैइसके पूर्व साइड में गया पश्चिम साइड में सोन नदी उत्तर में अरवल और दक्षिण में झारखंड का पलामू जिला पड़ता है